- कोविड -19 संक्रमण रोकथाम हेतु धारा -144 प्रभावशील
सिवनी 3 अप्रैल 2021 (लोकवाणी)। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी डॉ राहुल हरिदास फटिंग द्वारा जिले में कोविड मरीजों की संख्या में विगत दिनों से हो रही बढोत्तरी एवं जिला क्राईसिस मैनेजमेंट कमेटी की बैठक में लिए गए निर्णयानुसार दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा -144 के तहत जनसामान्य के स्वास्थ्य हित , शांति एवं कानून व्यवस्था को बनाये रखने हेतु सिवनी जिले की सम्पूर्ण राजस्व सीमा क्षेत्र के लिए प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं।
जारी आदेशानुसार जिले में समस्त सामाजिक एवं धार्मिक त्यौहारों में निकलने वाले जुलूस ध् गैर ध् मेले सार्वजनिक रूप से लोगों का एकत्रित होना प्रतिबंधित रहेगा। शादी- विवाह समारोह में 50 तथा शव यात्रा में 20 से अधिक व्यक्ति सम्मिलित नहीं होनें। जिम, स्वीमिंग पूल , सिनेमाघर बंद रहेगें। उठावना , मृत्युभोज कार्यक्रम में 50 से अधिक व्यक्ति सम्मिलित नहीं होगें । रेस्टोरेंट में बैठकर खाने पर पूर्णतः प्रतिबंध रहेगा, परंतु पार्सल भोजन प्रदाय कर सकेगें। बंद हॉल में आयोजित किए जाने वाले समस्त प्रकार के कार्यक्रम हेतु हॉल क्षमता के 50 प्रतिशत तक अनुमति रहेगी, किंतु उक्त संख्या किसी भी स्थिति में 100 से अधिक नहीं होगी। कोविड -19 की रोकथाम हेतु फेस मास्क की बाध्यता एवं सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराए जाने की जिम्मेदारी प्रबंधन, आयोजकों एवं हॉल संचालक की रहेगी।
आमजन का मास्क पहनना , सोशल डिस्टेसिंग का पालन किया जाना अनिवार्य होगा। सार्वजनिक स्थानों और कार्य स्थलों पर फेस मास्क न पहनने वाले व्यक्तियों के विरूद्ध अर्थदण्ड की कार्यवाही की जावेगी। समस्त दुकानों एवं व्यवसायिक प्रतिष्ठानों में रस्सी के माध्यम से अथवा सोशल डिस्टेंसिंग के लिए 1-1 गज की दूरी पर चूने के गोले बनाया जाना होगा। दुकान संचालाकों का स्वयं मास्क पहनना तथा दुकानों, प्रतिष्ठानों में आने वालों के लिए मास्क का इस्तेमाल अनिवार्य होगा। दुकानों के सामने भीड़ एकत्र न होने व सोशल डिस्टेसिंग का पालन सुनिश्चित हो यह जिम्मेदारी दुकान संचालकों की रहेगी।
अतः यह आदेश दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 ( 2 ) के अंतर्गत एक पक्षीय पारित किया जाता हैं। आदेश से व्यथित व्यक्ति दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 ( 5 ) के अंतर्गत कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत कर सकेगा। अत्यंत विशेष परिस्थितियों में अधोहस्ताक्षरकर्ता संतुष्ट होने पर आवेदक को किसी भी लागू शर्तो में छूट दे सकेगा। यह आदेश तत्काल प्रभाव से प्रभावशील रहेगा। उक्त आदेश का उल्लंघन भारतीय दण्ड विधान की धारा 188 के अंतर्गत दण्डनीय अपराध की श्रेणी में आवेगा।