सिवनी 13 नवम्बर 2022 (लोकवाणी)।
दो साल से नहीं मिली अनुदान राशि, शासन प्रशासन में कोई सुनवाई नहीं
सिवनी। किसानपुत्र शिवराज सिंह की सरकार इतनी कंगाल हो गयी है कि दो साल से अनुदान की राशि भी किसानों को नहीं दे पा रही है। सरकार की गलत नीतियों के कारण किसान दोहरी मार झेल रहा है। मंहगाई और कृषि उपज के उचित दाम ना मिलने के कारण त्राहि माम् त्राहि माम् कर रहा है। शासन और प्रशासन में भी किसान की सुनने वाला कोई नहीं है। उक्ताशय के विचार प्रेस को जारी विज्ञप्ति में वरिष्ठ कांग्रेस नेता आशुतोष वर्मा ने व्यक्त किए हैं।
इंका नेता वर्मा ने आगे उल्लेख किया है कि प्रदेश सरकार की दिशाहीन आर्थिक नीतियों के कारण ना केवल खजाना खाली हो गया है वरन प्रदेश हजारों करोड़ रुपये के कर्ज में डूब गया है। इसके कारण हर आदमी त्रस्त हो गया है लेकिन सरकार मस्त है। हालात इतने बद्तर हो गए हैं कि सरकार किसानों को उसको मिलने वाली अनुदान की राशि भी दो साल से दे नहीं पा रही।
प्रदेश कांग्रेस के प्रतिनिधि आशुतोष वर्मा ने विज्ञप्ति में आगे उल्लेख किया है कि बीज उत्पादक किसानों को प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत उत्पादन अनुदान दिया जाता है। इसकी 75 % राशि बीज उत्पादक किसान को तथा 25 % राशि मध्यप्रदेश राज्य बीज एवं फार्म विकास निगम को मिलती है।रबी फसल 2020-2021 की बीज उत्पादन अनुदान राशि प्रदान किये जाने हेतु नियमानुसार बीज निगम द्वारा दिनाँक 27अक्टूबर 2021को डी डी ए सिवनी को किसानों की सूची तथा दी जाने वाली राशि की जानकारी भेज दी थी। जब यह राशि अभी तक किसानों को नहीं मिली तो किसानों ने उप संचालक कृषि से सम्पर्क किया तो दो टूक जवाब मिला कि जब सरकार से पैसा नहीं आया तो कहाँ से दूंगा?
वरिष्ठ इंका नेता आशुतोष वर्मा ने विज्ञप्ति में यह भी उल्लेख किया है कि एक तरफ तो भीषण मंहगाई के कारण खाद,बीज,डीजल,कीटनाशक आदि अत्यधिक महँगी कीमतों में खरीदना पड़ रहा है तो दूसरी तरफ कृषि उपजों के कम दाम बाजार में मिल रहे है फिर भी सरकार कई उपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी नहीं करती है। ऐसी सरकार को भला कैसे किसानों की हितैषी सरकार कह सकते है।
प्रेस को जारी विज्ञप्ति में इंका नेता वर्मा ने अंत मे यह भी कहा है कि आज किसानों की सुनने वाला भी कोई नहीं है। जिले के बीज उत्पादक किसानों को जब उत्पादन अनुदान की राशि इतने दिनों तक नहीं मिली तो सभी तथ्यों की जानकारी देते हुये प्रदेश के कृषि मंत्री, प्रमुख सचिव कृषि और जिला कलेक्टर को देते हुये समस्या का निराकरण करने की मांग की गयी लेकिन नतीजा वही ढाक के तीन पात की तरह ही निकला। ऐसा लगता है कि कथित रामभक्तों की सरकार ने किसानों को रामभरोसे ही छोड़ दिया है।