- घड़ियालों की संख्या में नम्बर वन बनने की दहलीज पर मध्यप्रदेश
सिवनी 30 मार्च 2021(लोकवाणी)। मध्यप्रदेश वन एवं वन्य-प्राणियों की विविधता के लिए जाना जाता है। भारत के किसी भी प्रदेश की तुलना में मध्यप्रदेश में सर्वाधिक बाघ हैं। प्रदेश में बाघ की कुल संख्या 526 पहुँचने से इसे ष्टाईगर स्टेटष् का दर्जा प्राप्त है।
अगले साल फिर से बाघों और तेन्दुओं की गणना होगी। प्रदेश के जंगलों से बाघों की बढ़ोत्तरी के अच्छे संकेत मिलने लगे हैं। बाघों की संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी से यह भरोसा हो चला है कि मध्यप्रदेश देश में टाईगर स्टेट के रूप में अपना रूतबा कायम रखेगा। बाघों के लिए प्रदेश के जंगल मुफीद माने जाते हैं। संरक्षित क्षेत्र नेशनल पार्क टाईगर रिजर्व में सुरक्षा के पूरे इंतजाम की वजह से भी बाघ तेजी से बढ़ रहे हैं। टाईगर स्टेट का दर्जा दिलाने में अति विशिष्ट योगदान देने वाली पेंच टाईगर रिजर्व की बाघिन कालर वाली के नाम विश्व में सर्वाधिक संख्या में प्रसव और शावकों के जन्म का अनूठा कीर्तिमान है। मध्यप्रदेश में 3 हजार 431 तेन्दुए होने का आंकलन है, जो किसी भी राज्य से अधिक होने के साथ ही भारत में उपलब्ध तेन्दुओं की संख्या का 25 फीसदी है। प्रदेश में तेन्दुए की आबादी में 80 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई, जबकि देश में 60 प्रतिशत बढ़ोत्तरी हुई है।
प्रत्येक चार साल में भारत सरकार के वन्य एवं पर्यावरण मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर बाघ और तेन्दुओं की गणना कराई जाती है। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट, देहरादून द्वारा मॉनीटरिंग की जाती है। इस आधार पर बाघ और तेन्दुओं की संख्या तय की जाती है।
- गिद्ध और घडियालों की संख्या में भी अव्वल
इस वर्ष किए गए आंकलन के मुताबिक प्रदेश में तकरीबन 9 हजार 446 गिद्ध पाए गए हैं। पिछले दो साल में गिद्ध की संख्या में एक हजार 49 का इजाफा हुआ है। गिद्धों की संख्या के मामले में प्रदेश पहले स्थान पर काबिज है। इसी तरह घड़ियालों की गणना का कार्य भी चल रहा है। प्रदेश के घड़ियाल अभयारण्यों और अन्य जल-क्षेत्रों में 1800 घड़ियाल चिन्हित किए जा चुके हैं। घड़ियाल संख्या के मामले में भी मध्यप्रदेश के पहले स्थान पर आने की प्रबल संभावना है।
- संरक्षित क्षेत्रों में अफ्रीकी चीतों की होगी पुनर्स्थापना
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अफ्रीकी चीते को देश में उपयुक्त संरक्षित क्षेत्र में स्थापित करने की अनुमति दी गई है। भारतीय वन्य-जीव संस्थान, देहरादून ने प्रदेश के कूनो और गांधी सागर अभयारण्य को चीते के रहवास के लिए के लिए मुफीद माना है। इस दिशा में कार्यवाही प्रचलन में है।