सिवनी

राजनैतिक तौर पर उथल-पुथल से भरा रहा वर्ष 2020

  • राजनीति : उपलब्धी विहीन रहा वर्ष
    सिवनी 31 दिसंबर 2020 (लोकवाणी)। वर्ष 2020 के दौरान सारा भारत कोरोना संक्रमण के चलते भयभीत रहा, वहीं सिवनी जिले में भी राजनैतिक तौर पर उथल-पुथल रही, जहां वर्ष के आरंभ में प्रदेश की सत्ता कांगे्रस के हाथों में थी, लेकिन साल का अंत होते-होते परिवर्तन हुआ और अब भाजपा सत्ता में आसीन में है। उपलब्धियों के तौर पर देखा जाये तो यह वर्ष जिले के लिये कोई बड़ी सौगात नहीं लेकर आया, हालांकि इस दौरान बहुप्रतिक्षित पासपोर्ट कार्यालय आरंभ अवश्य हुआ, लेकिन मुख्यालय को महानगरों से जोडऩे के लिये आरंभ हुआ ब्रॉडगेज परिवर्तन का कार्य अभी भी पूर्ण नहीं हो पाया है, वहीं सड़क मार्ग से सिवनी व जबलपुर के मध्य आवागमन आरंभ हो गया, लेकिन अभी भी नागपुर रोड पूर्ण होना शेष है।
    जनवरी से लगभग 6 माह तक प्रदेश में सत्ता परिवर्तन का दौर चला और इस दौरान जिले में भी प्रशासनिक तौर पर राजनैतिक दलों के महत्व में भारी फेर-बदल देखा गया, जहां पूर्व में कांगे्रस के कार्यकाल के दौरान इस दल से जुड़े नेताओं की दखलअंदाजी प्रशासनिक निर्णयों में महत्वपूर्ण रही, लेकिन 2020 के अंतिम माह में भाजपायी प्रशासनिक गलियारे में भारी साबित हुये और स्थिति यह है कि अब कांगे्रस केवल विपक्षी दल बनकर रह गया है, वहीं भाजपा नेता प्रशासन में अपनी दखलअंदाजी को बनाये रखने में कामयाब होते नजर आ रहे है।
    जिले में चार विधानसभा क्षेत्र है, जहां भाजपा व कांगे्रस के दो-दो विधायक निर्वाचित अवश्य हुये है, लेकिन लगभग सभी विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं की कसौटी पर विधायक खरे नहीं उतर पाये है और अभी भी दोनों ही दलों के पास अपने विधानसभा को लेकर कोई उपलब्धी प्रचार के लिये नहीं है। सिवनी विधानसभा पर नजर डाली जाये तो अभी भी पेंच व्यपवर्तन परियोजना का किसानों को पूर्णत: लाभ नहीं मिल पा रहा है, वहीं शासकीय मेडिकल कॉलेज की सौगात भी मुख्यालय को मिलना शेष रह गई है। सक्रियता के पैमाने पर सिवनी विधायक दिनेश राय मुनमुन सबसे असरदार दिखायी दिये, वहीं भाजपा के चुनाव चिंह पर केवलारी विधानसभा से निर्वाचित विधायक राकेश पाल भी अपने क्षेत्र की जनता के साथ लगातार संपर्क करते नजर आये।
    बरघाट एवं लखनादौन विधानसभाओं पर नजर डाली जाये तो कांगे्रस विधायक अर्जुन सिंह काकोडिय़ा स्थानीय मुद्दों पर अवश्य मुखर रहे, लेकिन कांगे्रस की सत्ता रहने के दौरान भी वे इस आदिवासी बाहुल्य विधानसभा क्षेत्र के लिये कोई बड़ी उपलब्धी लाने में कामयाब नहीं हो पाये है, जबकि वर्ष भर लखनादौन विधायक योगेंद्र सिंह बाबा मतदाताओं से दूरी बनाये रखने की अपनी छबि से बाहर निकलने में असफल साबित हुये है, लेकिन उन्होंने विकास की अनेक उपलब्धियां अपने क्षेत्र के लिये अवश्य हासिल की है।
    कुल मिलाकर देखा जाये तो वर्ष 2020 सिवनी जिले की राजनीति के लिये बड़ी उपलब्धियों से विहीन रहा है, दोनों ही प्रमुख दलों की सरकारों में जिलों के मंत्री मंडल में स्थान नहीं मिल पाया, वहीं स्थिति यह है कि निगम एवं मंडलों तक में भाजपा व कांगे्रस के नेताओं को प्रतिनिधित्व नहीं मिला। पहले ही जिला विकास की दृष्टि से पड़ोसी बालाघाट एवं छिंदवाड़ा से पिछड़ा रहा है, कमोवेश यही स्थिति वर्ष 2020 में भी बनी रही है, अब उम्मीद यह है कि वर्ष 2021 में सत्तासीन भाजपायी राजनैतिक रूप से सक्रिय होकर जिले के विकास के लिये बड़ी उपलब्धियां हासिल करने का प्रयास करेंगे।

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