- गणचार्य श्री विरागसागर जी महाराज की पुण्य स्मृति में निर्मित होगा भव्य गुरू समाधि मंदिर
- सिवनी 03 अगस्त (लोकवाणी)। विगत 4 जुलाई 2024 को प.पू. राष्ट्रसंत, भारत गौरव,समाधि सम्राट, गणाचार्य भगवन श्री 108 विराग सागरजी महामुनिराज का। सल्लेख्ना समाधि पूर्वक महाप्रयाण जालना महाराष्ट्र के निकट श्रमण जगत की एक अपूर्णीय क्षति के रूप में घटित हुआ।
जिस भूमि पर पूज्य आचार्य भगवन की पार्थिव देह का अग्नि संस्कार किया गया उस भूखण्ड के स्वामी सोनू भाई,दीपेश भाई पाटनी परिवार जालना ( अंधारी वालो) ने अपने सउस विशाल भूखण्ड में से दो एकड़। का भू भाग नोटराइज कर दान पत्र द्वारा उस स्थल पर भव्य गुरू समाधि मंदिर के निर्माण के निमित्त से वर्तमान में जालना में चातुर्मासरत पूज्य आचार्य श्री विरागसागर महाराज की सुशिष्या श्रमणी आर्यिका विबोधश्री माताजी ससंघ सानिध्य में उनके आशीर्वाद से श्री विराग अक्षय समाधि स्थली ट्रस्ट को समर्पित किया गया।
उल्लेखनीय है कि पूज्य आचार्य महाराज के अंतिम संस्कार की क्रियाओं के समय ही पाटनी परिवार ने भाव बना लिया था कि पूज्य आचार्य महाराज की पवित्र देह हमारी जिस भूमि पर अग्नि से संस्कारित हो रही है वह भूखण्ड उनकी स्मृतियों को जीवंत रखने के लिए गुरू समाधि मंदिर के निर्माण हेतु दान स्वरूप समर्पित कर देंगे।
उक्त शुभ भाव बनते ही उसी समय परिवार द्वारा उपस्थित आचार्य संघ के मुनि राजो एवं अपार जन समुदाय के समक्ष भू दान की घोषणा भी कर दी गई थी तद अनुसार सारी कागजी कार्यवाही कर आज सारे परिवार ने गुरू समाुधि मंदिर के निर्माण हेतु मंडल को पूर्व में अपने द्वारा किए गए भूदान की घोषणा अनुसार विधिवत भूमि दान पत्र द्वारा समर्पित की गई।
सिवनी से रहा विशेष लगाव
उल्लेखनीय है आचार्य श्री विराग सागर जी महाराज का। सिवनी नगर में स्थापित भव्य जैन मंदिर ,बड़े बाबा,रजत रथ आदि धार्मिक विरासतों से आत्मीय लगाव था अपने प्रवचनो में अनेक स्थानों में वे इनका बड़े ही गर्व से उल्लेख करते थे। विगत अप्रैल माह में ही उनका अपने विशाल संघ के साथ भव्य सिवनी नगर आगमन हुआ था।उनके आशीर्वाद से उनके अनेक प्रभावी शिष्य शिष्याओं का चातुर्मास,शीतकाल एवं ग्रीष्म कालीन प्रवास सिवनी नगर में अनेक बार धर्म प्रभावना पूर्वक हो चुका है।