सिवनी 15 सितंबर (लोकवाणी)। भारत में दो संस्कृतिया पल रही है एक संस्कृति है सनातनी और दूसरी संस्कृति है औरंगजेब वाली। सनातन संस्कृति त्याग और पूर्वजों के प्रति सम्मान सिखाती है जबकि औरंगजेबी संस्कृति लूट और सत्ता हथियाने के लिये सारी मर्यादाओं को ताक पर रखने वाली संस्कृति है। दोनों संस्कृतियों में कौन श्रेष्ठ है यह भी इतिहास स्पष्ट कर चुका है। इस आशय की बात सिवनी के पालीटेक्निक ग्राउंड में चल रही भक्तियम श्रीराम कथा के दौरान कथावाचक तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरू रामनंदाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज कही है।
महाराज श्री ने कहा कि भगवान श्रीराम ने सनातन संस्कृति के तहत पिता के सम्मान के लिये राजपाठ छोड़कर वन गमन किया और औरंगजेब ने राजपाठ के लिये अपने पिता शाहजहाँ को जेल में डाल दिया था दोनों संस्कृतियों के क्या परिणाम हुये इतिहास हमें बताता है कि सनातन संस्कृति का अनुशरण करते हुये मर्याद पुरूषोत्तम श्रीराम ने पिता की आज्ञा का पालन करते हुये वनवास जाना उचित समझ और राजपाठ का त्याग किया वह भगवान कहलाएँ जिन्हें दुनिया पूजती है उनका भव्य मंदिर उनकी जन्म स्थली अयोध्या में बन रहा है। वहीं औरंगजेब जिसने राजपाठ के लिये अपने पिता शाहजहां को जेल डाला और यातनाएँ दी उसकी मौत भी महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुई और उसके मकबरे की जो दुर्दशा है वह बहुत बुरी है वहाँ कोई झांकने नहीं जाता। इसलिये सनातन संस्कृति श्रेष्ठ है और सनातन संस्कृति हमारा प्राण है, संस्कारों की पाठशाला है इस पर हमें गर्व है जो इसका विरोध करेगा उसका हम खुलकर केवल विरोध ही नहीं करेंगे उसे रसातल में पहुँचाने के लिये पूरी ताकत लगा देंगे।
स्वामी रामभद्राचार्य जी ने कथा सुनाते हुये कहा कि वर्तमान में मोदी सरकार को हटाने के लिये जो गठवंधन बना है वह मोदी सरकार को हटाने के लिये बल्कि देश को तोडऩे के लिये बना है देश को खंडित करने का षडयंत्र है। उन्होनें कहा कि महात्मा गांधी जी ने अपने अंतिम समय में भी भगवान श्रीाराम का नाम लिया था क्योकि वे सनातनी थे और कांग्रेस नेता कमलनाथ तथा दिग्विजय सिंह भी सनातनी है उनके पूर्वज सनातनी है परंतु वे सनातन के विरोध में हो रही बयानबाजी के विरोध में बोलने का साहस नहीं दिखा पा रहे है और सनातन विरोधियों के साथ खड़े है क्योकि उन्हें देश और संस्कृति की नहीं अपनी सत्ता की चिंता है इसलिये हम उनके विरोधी है।
उन्होंने कहा कि भारतीय इतिहास में स्पष्ट है कि हर युग में धर्म और अधर्म के लिये संघर्ष हुये है हर युग में धर्म की जीत हुई है। त्रेता में भगवान श्रीराम और रावण के बीच युद्ध धर्म की स्थापना के लिये हुआ, महाभारत भी हुआ और भारत ने अंग्रेजो को भगाने के लिये, और भगवान श्रीराम की जन्मभूमि को पाने के लिये सनातनियों ने लंबे समय तक संघर्ष किया हर बार धर्म की जीत हुई है। इसबार भी सनातनियों की जीत होगी और सनातन का विरोध करने वाले हारेंगे।
