मध्य प्रदेश सिवनी

आबकारी नीति का खुलेआम उड़ रही धज्जियां, कचहरी चौक से हटाकर ग्रामीण के बाजू में पहुंची शराब दुकान

मिशन स्कूल से 50 मीटर दूरी पर हो रहा संचालन
सिवनी 22 अक्टूबर (लोकवाणी)। जिला मुख्यालय सिवनी के कचहरी चौक से विस्थापित विवादित देशी विदेशी मदिरा दुकान हटाए जाने के पश्चात पुनः एक नवीन विवादित स्थान पर उसे स्थापित कर दिया गया है। आबकारी विभाग मध्य प्रदेश शासन द्वारा निर्धारित आबकारी नीति के अंतर्गत बनाए गए नियमों का पालन करने में शायद जानबूझकर गलती कर रहा है जहां कचहरी चौक से मदिरा दुकान हाई कोर्ट के आदेश पर हटाए जाने के पश्चात पुनः उसे मिशन स्कूल से लगभग 50 मीटर की दूरी में सतपुड़ा ग्रामीण बैंक के बाजू में स्थापित करने का आदेश दिया गया।
मध्य प्रदेश आबकारी नीति के अंतर्गत कोई भी दुकान किसी भी धार्मिक संस्था अथवा किसी माध्यमिक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की सीमा से 100 मीटर के अंतर्गत नहीं खोली जा सकती यदि कोई खोली गई भी है तो उसे 100 मीटर के बाहर पुनर्स्थापित किया जाएगा। लेकिन सिवनी आबकारी विभाग इसके विपरीत काम कर रहा है जिसके द्वारा कचहरी चौक से हटाई गई विवादित दुकान को मिशन स्कूल की सीमा से लगभग 50 मीटर दूरी पर पुनः सतपुड़ा सहकारी बैंक के बगल में स्थापित करवा दिया गया है। जिसका स्थानीय नागरिकों द्वारा विरोध लगातार किया जा रहा है।
इस संबंध में नवेन्दु मिश्रा ने बताया कि आबकारी दुकान के बाजू में बैंक, उसके कुछ दूरी पर पुनः पंजाब नेशनल बैंक जैसी संस्थाएं स्थापित है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि इस तरीके से आवासीय क्षेत्र में शराब विक्रय की दुकान का खोल जाना उस क्षेत्र की शांति एवं कानून व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव डालेगा। जिस हेतु स्थानीय नागरिकों द्वारा कलेक्टर सिवनी, विधायक सिवनी, नगर पालिका अध्यक्ष सिवनी एवं अन्य जनप्रतिनिधियों से मिलकर इस मामले में त्वरित कार्यवाही कर मदिरा दुकान को हटाने का आग्रह किया गया है। ऐसा न किए जाने पर उनके द्वारा उपयुक्त कानूनी सलाह के साथ कार्यवाही किया जाएगा।
जनप्रतिनिधियों की चुप्पी
इस मामले में गौरतलब यह भी है की स्थानीय जनप्रतिनिधि इस मामले में मौन धारण किए हुए रहते हैं जो यह बात जानते हुए की इस प्रकार की मदिरा दुकान का स्थानीय आवासीय क्षेत्र में खोला जाना और शासन की मंशा के विपरीत उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के नजदीक खोल जाना जनहित के पर विपरीत प्रभाव डालता है। तब भी यह मौन रहते हैं इस स्थिति में क्या समझा जाए कि क्या जानबूझकर इस तरीके की गलती करने के लिए आबकारी अधिकारियों पर दबाव बनाया जाता है या आबकारी अधिकारी जानबूझकर अपने फायदे के चलते इस प्रकार के निर्णय ले रहे हैं। अब देखना यह है कि इस मामले में क्या आबकारी अधिकारी पर कार्यवाही होगी और उसे दुकान को हटाया जाएगा अथवा उसे नियम विरुद्ध संचालित किया जाता रहेगा।

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