सिवनी

कोरोना पीड़ित गंभीर हालत में एडीजे को लेकर पहुंचा एम्बुलेंस स्टाॅफ, गायब थे डाॅक्टर


मानव अधिकारआयोग ने कलेक्टर तथा सीएमएचओ सतना से तीन सप्ताह में मांगी रिपोर्ट

भोपाल 9 अप्रैल 2021 । मध्यप्रदेश के सतना जिले के 108 एम्बुलेंस का स्टाॅफ कोरोना पाॅज़िटिव एडीजे को गंभीर हालत में लेकर बीते बुधवार की दोपहर 3.45 बजे ट्रामा यूनिट में बनाये गये इंफोसिस डिसीज कंट्रोल वार्ड पहुंचा। न्यायाधीश को वार्ड में शिफ्ट करने स्ट्रेचर, व्हील चेयर नहीं मिल पा रहे थे। मौके पर मौजूद स्टाॅफ नर्स, वार्ड ब्वाॅय ने पूछने पर भी नहीं बताया कि स्ट्रेचर, व्हील चेयर कहां है। एम्बुलेंस का स्टाॅफ 20 मिनट की मशक्कत के बाद जब व्हील चेयर मंे न्यायाधीश को बैठाकर वार्ड लेकर पहुंचा, तो वहां कोई डाॅक्टर मौजूद नहीं था। स्टाॅफ नर्स बोली कि इन्हें ओपीडी लेकर जाओ, वहां पर्चा कटवाओं और डाॅक्टर से लिखवाकर लाओ कि कहां दाखिल करना है। तब तक न्यायाधीश के परिजन पहुंच गये। उनके अनुरोध के बाद न्यायाधीश को वार्ड में दाखिल किया गया। लेकिन काफी देर हो चुकी थी। इस मामले में आयोग के माननीय अध्यक्ष न्यायमूर्ति श्री नरेन्द्र कुमार जैन ने कलेक्टर तथा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सतना से तीन सप्ताह में प्रतिवेदन मांगा है।

उल्लेखनीय है कि एडीजे को बीते बुधवार दोपहर अचानक सांस लेने में तकलीफ हुई, तो उन्होंने स्वास्थ्य अधिकारियों से तकलीफ साझा की। अपरान्ह 3.20 बजे आनन-फानन 108 एम्बुलेंस उनके घर रवाना की गई। अपरान्ह 3.20 बजे एम्बुलेंस न्यायाधीश के घर पहुंची। न्यायाधीश खुद से चलकर एम्बुलेंस में आकर बैठे। 108 के स्टाॅफ ने उनके कहने पर आॅक्सीजन लगाया। अपरान्ह 3.35 बजे एम्बुलेंस घर से जिला अस्पताल के लिये रवाना हुई। अपरान्ह 3.45 बजे ट्राॅमा यूनिट के ग्राउंड फ्लोर में बनाये गये इंफोसिस डिसीज कंट्रोल वार्ड के सामने पहुंची। वार्ड में कोई भी डाॅक्टर मौजूद नहीं था। 108 के स्टाॅफ ने नर्स और वार्ड ब्वाॅय को मरीज़ का परिचय देकर स्टेचर, व्हील चेयर मांगा। लेकिन दोनों ने स्ट्रेचर व्हील चेयर उपलब्ध कराना तो दूर, बताना भी जरूरी नहीं समझा कि कहां रखे गये है। एम्बुलेंस का स्टाॅफ 20 मिनट की मशक्कत के बाद ट्राॅमा यूनिट के पहले माले पर स्थित कोविड-19 आइसीयू से व्हील चेयर लेकर आया। न्यायाधीश को व्हील चेयर पर बैठाकर वार्ड के सामने पहुंचे। नर्स बोली कि इन्हें ओपीडी लेकर जाओ, पर्चा कटवाओ और डाॅक्टर से लिखवाकर लाओ कि इंफोसिस डिसीज़ कंट्रोल वार्ड या आइसीयू कहां भर्ती करना है। तब तक न्यायाधीश के परिजन भी मौके पर पहुंच गये। उनके अनुरोध के बाद मुश्किल से न्यायाधीश को आॅक्सीजन लगाकर वार्ड के अंदर ले जाया गया, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। सूचना पर दौड़ते-भागते चिकित्सकों ने जांच के बाद न्यायाधीश को मृत घोषित कर दिया। आयोग द्वारा सतना से प्रकाशित एक दैनिक समाचार पत्र के 8 अप्रैल 2021 के अंक में प्रकाशित खबर पर स्व-संज्ञान लिया गया है।

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