सिवनी। आगामी ग्रीष्म ऋतु में नागरिको के लिये पीने के पानी एवं निस्तार की आवश्यकता की पूर्ति को लेकर कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी श्री क्षितिज सिंघल ने म.प्र. शासन राजस्व विभाग (राहत) भोपाल द्वारा सूखा, पेयजल संकट एवं अन्य समस्याओं से निपटने के लिये 03 नवम्बर 2007 में जारी निर्देशों की कंडिका 43 पर उल्लेखित म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 यथा संशोधित 2002 के अंतर्गत संपूर्ण सिवनी जिले को 31 जुलाई 2024 तक के लिये जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया हैं।
जारी आदेशानुसार घोषित जल अभावग्रस्त अवधि में सक्षम अनुमति के बिना कोई भी व्यक्ति, किसी भी सार्वजनिक स्त्रोत यथा-नदी, नालों, बंधान, स्टॉपडेम, जलधारा, जलाशय, सार्वजनिक कुंओं, झिरिया तथा पेयजल के अन्य स्त्रोतो से सिंचाई या औद्योगिक प्रयोजन हेतु जल का उपयोग नही कर सकेगा। इसी तरह कलेक्टर या कलेक्टर द्वारा प्राधिकृत अधिकारी की अनुज्ञा के बिना कोई भी व्यक्ति, संगठन, प्राधिकरण नलकूप खनन नहीं करेगा।
इस दौरान जिले में नदी, नालों, बंधानों, नहरों, जलाशय एवं बांधों से पेयजल तथा निस्तार प्रयोजन के अतिरिक्त किसी अन्य प्रयोजन के लिये पानी का उपयोग करने पर जल संसाधन विभाग अथवा संबधित विभाग की जिम्मेदारी होगी कि वे क्षेत्र में स्थापित मोटर पंप की सूची म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी को उपलब्ध करावें एवं ऐसे मोटर पंप के विद्युत विच्छेद संबधित कार्यपालन अभियंता, म.प्र. पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कम्पनी की द्वारा किया जायेगा।
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सिचाई अथवा औद्योगिक प्रयोजन के लिये अनुमति अनिवार्य
यदि किसी व्यक्ति, संगठन, प्राधिकरण प्रतिबंधित अवधि में सिचाई अथवा औद्योगिक प्रयोजन के लिये पानी के उपयोग की अनुमति चाहते है तो वे अधिनियम की धारा 4 एवं संबधित नियमों के तहत आवेदन प्राधिकृत अधिकारी को प्रस्तुत कर सकते हैं। इसी प्रकार नवीन नलकूप, नलकूप गहरीकरण, नलकूप की साफ-सफाई के लिये अधिनियम की धारा -6 एवं संबधित नियमों के तहत आवेदन प्राधिकृत अधिकारी को प्रस्तुत करेगे। इसके साथ-साथ नलजल प्रदाय योजनाओं से पेयजल प्रदाय किये जाने में भी जिन नल कनेक्शन वाले घरों में मोटर पंप स्थापित कर प्रेसर से पानी खींचा जाता है जिससे अन्य घरों में पानी नहीं पहंुच पाता है। ऐसे स्थानों में संबंधित ग्राम पंचायत एवं नगरपालिका द्वारा भी मोटर जप्ती की कार्यवाही की जायेगी। जारी आदेशानुसार नलकूप खनन, नलकूपों की साफ-सफाई आदि की अनुमति देने के लिए संबंधित अनुविभागीय अधिकारी राजस्व को अधिकृत किया गया है। उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर 02 साल का कारावास अथवा 2 हजार रूपये तक का जुर्माना अथवा दोनों से दण्डित किया जाएगा।