- मानव अधिकार आयोग मध्यप्रदेश ने लिया संज्ञान
भोपाल 6 मई 2021 (लोकवाणी)। घर में कोठी, ड्रम बोरियों में गेहूं रखा है। फिर भी दुकान से 30-35 रूपये प्रति किलो आटा खरीदना पड रहा है। ये हाल ’भोपाल शहर के’ किसी एक परिवार या घर का नहीं है, बल्कि हजारों परिवारों के सामने यही संकट है, क्योंकि शहर में करीब एक महीने से कर्फ्यू ने आटा चक्कियों के शटर गिरा रखे हैं।
जिला प्रशासन के अफसरों का कहना है कि लोग कुछ दिन महंगे आटे से काम चला लें। संक्रमण की चेन टूटने के बाद सब खुलवा देंगे। शहर के ज्यादातर लोग सालभर का गेहूं खरीदकर रखते हैं। सरकारी राशन दुकानों पर निर्भर लोग भी अपने हिस्से का गेहूं लेकर उसे आटा चक्की पर पिसवाते है। महीनेभर पहले प्रशासन ने किराना, फल, सब्जी, दूध दुकानें खोलने का समय तो तय किया, लेकिन आटा चक्कियों को लेकर गाइडलाइन जारी नहीं की। नतीजतन, लोगों को घरों में पर्याप्त गेहूं होने के बावजूद महंगे दाम पर आटा खरीदना पड रहा है। पांच किलो आटे का पैकेट 160 यानी करीब 32 रूपये प्रति किलो के भाव से आता है। वहीं, पांच किलो गेहूं पिसवाने के बाद भी 25 रूपये किलो ही पडता है।
इस मामले में आयोग ने प्रमुख सचिव, म.प्र. शासन, खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, मंत्रालय एवं कलेक्टर, भोपाल से एक सप्ताह में अर्थात 13 मई 2021 तक प्रतिवेदन मांगा है। आयोग ने इन अधिकारियों से यह भी पूछा है कि गेहूं पिसवाने के लिए आटा चक्कियों को खोलने की क्या व्यवस्था की गई है ? जिससे व्यक्ति गेहूं पिसवाकर आटे का उपयोग कर सकें। शासकीय राशन की दुकानों पीडीएस के जरिये निर्धन परिवारों को शासन की ओर से उपलब्ध कराये जा रहे गेहूं को आटा चक्की बन्द होने की स्थिति में किस प्रकार से पिसवा सकने की व्यवस्था शासन की ओर से की गई है ? क्योंकि ऐसे निर्धन व्यक्तिध्परिवार जब गेहूं के लिए ही म.प्र. शासन पर निर्भर हैं, तो वे अपनी ऐसी आर्थिक विपन्नता में गेहूं के होने पर व्यक्तिगत तौर पर पिसे हुए आटे को बाजार से कैसे क्रय कर सकते हैं ? क्या मध्यप्रदेश शासन द्वारा ऐसी विषम परिस्थितियों के लिए ऐसे निर्धन परिवारोंध्व्यक्तियों को शासन की ओर से उपलब्ध करवाये जा रहे गेहूं के स्थान पर इतनी ही मात्रा में सामान्य स्तर का उपयोग योग्य पिसा आटा उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था किया जाना संभव है? जिससे ऐसे निर्धन परिवारोंध्व्यक्तियों को म.प्र. शासन की ऐसी सामाजिक कल्याणकारी योजना का वास्तविक लाभ प्राप्त हो सके। आयोग ने यह भी पूछा है कि निर्धन परिवार व्यक्तियों के अलावा अन्य सामान्य व्यक्तियों के लिए भी गेहूं पिसवाने के लिए आटा चक्की उनके निवासीय क्षेत्र विशेष में खोले जाने की क्या व्यवस्था की गई है?